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भारतीय संविधान के हस्त लेखक प्रेम बिहारी रायजादा की 123 वीं जयन्ती 16 को

भारतीय संविधान के हस्त लेखक प्रेम बिहारी रायजादा की 123 वीं जयन्ती 16 को


बरेली रुबरु बरेलीI  भारत का संविधान हाथ से लिखा गया था। इसमें किसी भी प्रकार के उपकरण का उपयोग नहीं किया गया था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा दिल्ली दिल्ली के रहने वाले थे जिन्होंने 264 पेज की विशाल पुस्तक को अपने हाथों से इतालिक शैली में लिखा था।


प्रेम बिहारी नारायण रायजादा उस समय के एक प्रसिद्ध कॉलिग्राफर थे। उनका जन्म 16 दिसंबर 1901 को दिल्ली में एक प्रसिद्ध हस्तलेखन शोधकर्ता के परिवार में हुआ था। उनके पिता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था। उनके दादा राम प्रसाद सक्सेना और चाचा चतुर बिहारी नारायण सक्सेना थे। उनके दादा राम प्रसाद सक्सेना एक कॉलिग्राफर थे और फारसी और अंग्रेजी के विद्वान थे। उन्होंने प्रेम बिहारी को बचपन से ही कॉलिग्राफी सिखाई थी।



प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक किया था। इसके बाद उन्होंने अपने दादा से सीखी गई कॉलिग्राफी का अभ्यास करना शुरू किया था। धीरे-धीरे उनकी सुंदर हस्तलेखन की प्रतिभा की प्रसिद्धि फैलने लगी।

सुरेन्द्र बीनू सिन्हा

जब संविधान को मुद्रण के लिए तैयार किया गया था, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को बुलाया था।


 नेहरू जी ने उनसे संविधान को इतालिक अक्षरों में हाथ से लिखने के लिए कहा था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इस कार्य को पूरा करने के लिए छह महीने तक कठिन परिश्रम किया था।


प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने नेहरू जी से कहा था कि वह इस कार्य के लिए कोई शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने कहा था कि भगवान की कृपा से उन्हें जीवन में सब कुछ मिल गया है और वह अपने जीवन से संतुष्ट हैं।

संविधान की हस्तलिखित प्रतिलिपि


प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने नेहरू जी से एक अनुरोध किया था कि वह संविधान के हर पृष्ठ पर अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पृष्ठ पर अपने दादा के नाम के साथ अपना नाम लिखेंगे। नेहरू जी ने उनकी इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था।

भारतीय संविधान के हस्त लेखक प्रेम बिहारी रायजादा


प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को संविधान लिखने के लिए एक मकान दिया गया था। वहां बैठकर उन्होंने संविधान की पांडुलिपि लिखी थी।


इस प्रकार, प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने भारत के संविधान को हाथ से लिखने का अद्वितीय कार्य किया था। यह एक ऐसा कार्य है जो भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।आज भी भारत के संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित है। जयन्ती पर रायजादा जी को शत-शत नमन।



 प्रस्तुति : निर्भय सक्सेना

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