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Bareilly News: एक उम्मीद' का अनूठा प्रयास। वंचित वर्ग की प्रतिभाशाली बच्चियों के स्वनिर्मित परिधानों वाला रैम्प वॉक रहा मुख्य आकर्षण।

Bareilly News: एक उम्मीद' का अनूठा प्रयास। वंचित वर्ग की प्रतिभाशाली बच्चियों के स्वनिर्मित परिधानों वाला रैम्प वॉक रहा मुख्य आकर्षण।

बरेली रूबरू बरेली। आजादी के महोत्सव के अंतर्गत, सेंट्रल यू पी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन, महिला इकाई एवं एनजीओ 'एक उम्मीद' ने मिलकर एक अनोखे और प्रेरणादायक आयोजन "स्वतंत्रता की पहचान – वॉक ऑफ फ्रीडम" कार्यक्रम में किया। 


जिसका उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग की प्रतिभाशाली बालिकाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करना था, जहाँ वे अपनी रचनात्मकता, आत्म निर्भरता और आत्मविश्वास को खुले रूप में प्रदर्शित कर सकें।

फन सिटी के हवेली में हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री राममूर्ति मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज ग्रुप की  श्रीमती आशा मूर्ति और श्रीमती शिल्पा गुआल की उपस्थिति में स्वनिर्मित परिधानों में रैम्प वॉक मुख्य आकर्षण रहा।

जिसमें वंचित परिवारों से आने वाली बालिकाओं का रैम्प वॉक था। रैम्प वॉक के दौरान उपस्थित दर्शकों ने जोरदार तालियों के साथ प्रतिभागियों का हौसला भी बढ़ाया। प्रत्येक प्रतिभागी की मेहनत और रचनात्मकता स्पष्ट रूप से परिधानों में झलक रही थी।  
अमिता अग्रवाल की संस्था "एक उम्मीद" संस्था से जुड़ी इन बालिकाओं ने अपने परिधान स्वयं डिजाइन और तैयार किए थे। उनकी यह मेहनत न केवल उनकी कला और रचनात्मक सोच को दर्शाती है, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में उनकी मजबूत सोच को भी उजागर करती है। इस कार्यक्रम में 79 वें स्वतंत्रता दिवस एवं कृष्ण जन्माष्टमी का संगम भी देखने को मिला। 


इस आयोजन की विशेषता यह रही कि इसमें स्वतंत्रता दिवस की देशभक्ति की भावना और कृष्ण जन्माष्टमी की सांस्कृतिक छटा का सुंदर मेल भी  देखने को मिला। 

सेंट्रल यू पी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन, 
 की लेडीज़ विंग की सदस्यों ने मंच पर आकर “आज की आज़ादी” का उनके जीवन में क्या अर्थ है, इस पर अपने विचार साझा किए। 

इन सदस्यों ने अपने जीवन के अनुभव सुनाए और बताया कि स्वतंत्रता का मतलब केवल बाहरी बंधनों से मुक्ति नहीं, बल्कि अपनी सोच, अपने फैसलों और अपने सपनों को पूरा करने की स्वतंत्रता है।
इस कार्यक्रम में एक भावुक और सांस्कृतिक सेगमेंट भी शामिल था, जिसमें महिलाओं ने अपनी पसंदीदा साड़ी से जुड़ी यादें और कहानियां साझा कीं। 


इन कहानियों में प्रेम, परिवार, संघर्ष और परंपराओं की महक महसूस की जा सकती थी।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि
श्रीमती आशा मूर्ति जी ने अपने संबोधन में कहा, कि "आज इन बेटियों की मुस्कान और आत्मविश्वास देख कर यह विश्वास और मजबूत हो जाता है कि अगर उन्हें अवसर और सही मार्गदर्शन मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में नाम कमा सकती हैं। 

यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि हमारे समाज में बदलाव लाने के लिए सामूहिक प्रयास ही सबसे बड़ा हथियार है।"


श्रीमती शिल्पा गुआल  ने कहा,
"स्वतंत्रता केवल राजनीतिक आज़ादी तक सीमित नहीं है, यह सामाजिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता से भी जुड़ी है। आज इन बालिकाओं ने अपने हाथों से तैयार किए परिधानों में रैम्प वॉक कर यह संदेश दिया है कि वे भी अपनी पहचान बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।"


सेंट्रल यू पी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन, की महिला इकाई की चेयरपर्सन अमिता अग्रवाल ने बताया, कि "हमारा उद्देश्य केवल कार्यक्रम करना नहीं, बल्कि इन गरीब बालिकाओं को प्रेरित करना और उन्हें यह महसूस कराना है कि उनकी मेहनत और हुनर की कद्र होती है। यह आयोजन स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता दोनों का प्रतीक है।"


कार्यक्रम का संचालन नीलू मेहंदीरत्ता द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन सचिव अम्बुज गुप्ता द्वारा दिया गया। रैम्प वाक का जजमेंट डॉ उर्मिला बाजपेयी द्वारा किया गया।  

इस अवसर पर राधा सिंह, कविता अग्रवाल, सोनिया सेठी, रीना कौर , मंजीत विग, इला अग्रवाल, रिचा सिंघल, श्रद्धा खंडेलवाल, डॉ मंजू गुप्ता व् बड़ी संख्या में महिलाए उपस्तिथ रही।
इस कार्यक्रम के आयोजकों ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि ऐसे आयोजनों में सक्रिय सहयोग दें, ताकि समाज के वंचित वर्ग की प्रतिभा को सही दिशा मिल सके और बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने का सपना साकार हो सके।

समापन और आभार
कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों को सम्मानित करने और सामूहिक राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।       निर्भय सक्सेना

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