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Bareilly News: श्रमजीवी पत्रकारिता में 50 वर्ष से कार्यरत निर्भय सक्सेना समाजसेवा में भी अग्रणी

Bareilly News: श्रमजीवी पत्रकारिता में 50 वर्ष से कार्यरत निर्भय सक्सेना समाजसेवा में भी अग्रणी

अटल बिहारी बाजपेई, एल के आडवाणी, एन डी तिवारी, बनारसी दास, राजनाथ सिंह, अशोक सिंघल जैसे बड़े-बड़े नेताओं की कर चुके हैं कवरेज।

रेलमंत्री के साथ मुंबई जाकर रेलवे के पहले कंप्यूटर टिकट जारी करने की कवरेज भी की थी 

रमेश चंद जैन
बरेली रूबरू बरेली। देश प्रदेश में हमेशा पत्रकारों की हक की लड़ाई लड़ने वाले निर्भय सक्सेना ही बरेली में एकमात्र ऐसे  पत्रकार है जिन्होंने श्रमजीवी पत्रकारिता में देश प्रदेश के विभिन्न शहरों में रहकर श्रमजीवी पत्रकार के रूप में 50 वर्ष भी पूरे कर लिए। उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग बरेली से 28 सितंबर 1977 से उनको दैनिक दिव्य प्रकाश, से पत्रकार मान्यता मिली थी । 

जो दैनिक विश्वामित्र, कानपुर, दैनिक आज, कानपुर,  दैनिक जागरण के बाद आजकल भी स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जारी है। आजकल बरेली में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में लेखन में कार्यरत निर्भय सक्सेना समाजसेवा में भी अग्रणी हैं। 


वह "कलम बरेली की" के पांच वार्षिक  अंक  निकल चुके हैं। अपनी जिंदगी के करीब 22 साल एक बड़े नाम दैनिक जागरण को दिए । बरेली समेत कई बड़े महानगरों में जाकर गंभीरता से जनता की आवाज सरकार तक पहुँचने वाली रिपोर्टिंग भी की |  लालकृष्ण आडवाणी अटल बिहारी वाजपेई अशोक सिंघल बनारसी दास नारायण दत्त तिवारी जैसे तमाम बड़े नेताओं पर निर्भय सक्सेना ने मौके पर मौजूद रहकर लेखनी चलाई और उनके इंटरव्यू भी आमने-सामने लिए । 

निर्भय सक्सेना की कलम 'बरेली की पुस्तक' का तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार, अब झारखंड के राज्यपाल,  ने 14 अगस्त 2021 को रोटरी भवन में तथा 15 अगस्त को उपजा प्रेस क्लब, बरेली में विमोचन भी किया था। बाद के कलम बरेली की वाले अंक भी लोगो ने सराहे ।


 निर्भय सक्सेना की 69 वर्ष की उम्र भले ही ढलान पर हो लेकिन उनकी सक्रियता पत्रकारों के हित में उनके संघर्ष की क्षमता और कार्यकुशलता वास्तव में सम्मान की पात्र है |  निर्भय सक्सेना के बारे में बीते दिनों शहर में एक "संवाद" पत्रिका का अंक भी प्रकाशित हो चुका है।  जिन पर उनके क्रियाकलापों को विस्तार से चर्चा भी की गई थी | निर्भय सक्सेना की कलम 'बरेली की पुस्तक' का तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 14 अगस्त 2021 को रोटरी भवन में तथा 15 अगस्त को उपजा प्रेस क्लब, बरेली में विमोचन हुआ था। 

निर्भय सक्सेना के बारे मे  कुछ पुराने छायाचित्र के जरिए आपको बताना चाहते हैं की यही वह निर्भय जी है जिन्होंने पत्रकार हित में प्रांतीय राष्ट्रीय मंचो पर कई मुद्दे उठाए हैं ।

 सरकार को पत्र एवं मेल भेजकर पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकारो के लिए पेंशन, निश्चित मानदेय उनकी शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है |  निर्भय सक्सेना लंबे अरसे सी बी गंज में श्रमिकों के लिए बड़ा कर्मचारी राज्य बीमा निगम का अस्पताल खुलवाने, इज्जतनगर रेलवे स्टेशन का रेलवे कालोनी साइड  में दूसरा गेट के लिए संघर्ष कर रहे थे। 

कई बार संतोष गंगवार केंद्रीय मंत्री के माध्यम से भी पत्र भारत सरकार भिजवाए थे जिसमें उन्हें काफी हद तक आंशिक सफलता मिल चुकी है। और बीते दिनों  इज्जतनगर में रेलवे का कालोनी साइड गेट का उद्घाटन एवं केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने सीबीगंज पहुंचकर 100 बेड के हॉस्पिटल का शिलान्यास भी कर दिया था जिसमें निर्भय सक्सैना खासतौर से मौजूद थी रहे थे | 


 शहर के बड़े साहित्यकार और साहित्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष साहित्य भूषण से सम्मानित सुरेश बाबू मिश्रा कहते हैं कि निर्भय सक्सेना बरेली का एक सुपरिचित नाम है। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है। वह एक निर्भीक पत्रकार, प्रखर समाजसेवी एवं स्थापित लेखक हैं। वे सादगी, शालीनता, विनम्रता एवं शुचिता की प्रतिमूर्ति हैं। स्वभाव से वे बड़े मिलनसार एवं जिन्दादिल इंसान हैं। हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहना उनके व्यक्तित्व की खास विशेषता है। वह साहित्य परिषद में उपाध्यक्ष भी हैं।


मूल रूप से बरेली महानगर में रहने वाले अब  69 वर्षीय निर्भय सक्सेना ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कभी किसी के प्रभाव, दबाव या प्रलोभन को स्वीकार नहीं किया और वही समाचार लिखा या प्रकाशित किया जो यथार्थ के धरातल पर खरा उतरा। 

उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।


निर्भय सक्सेना  के लिए पत्रकारिता एक मिशन रही मात्र प्रोफेशन नहीं। इसलिए वह अपने पत्रकार साथियों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। समाज में उनका बड़ा आदर एवं प्रतिष्ठा भी है।

 विगत कई वर्षों से मानव सेवा क्लब के कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका में नजर आते है।। वे हर विषय पर बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखते हैं।
निर्भय सक्सेना ने पत्रकारिता के क्षेत्र में बरेली में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में कई नगरों में अपनी बुलंदी के झंड़े गाड़े। निर्भय सक्सेना की शिक्षा बरेली में सम्पन्न हुई। 


निर्भय जी ने अपने कैरियर का प्रारम्भ 11 फरवरी 1974 से 1977 तक 'दैनिक विश्वमानव' बरेली समाचार पत्र से किया था। इसके बाद दैनिक दिव्य प्रकाश, बरेली एवं दैनिक विश्वामित्र, कानपुर के जुड़ गए। बाद में वर्ष1980 में ‘दैनिक आज, कानपुर के समाचार पत्र में बरेली मण्डल के ब्यूरो चीफ के रूप में पत्रकारिता जगत को सेवायें प्रदान करना प्रारम्भ किया। इन वर्षों में निर्भय सक्सेना का सम्पूर्ण बरेली मण्डल में सशक्त लेखनी के आधार पर एक निर्भीक पत्रकार के रूप में पहचान बना ली दैनिक आज, कानपुर में वह 1985 तक रहे। 

पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बना चुके निर्भय सक्सेना ने अपने जीवन का सर्वाधिक काल 1987 से समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ आगरा एवं बरेली संस्करण की सेवा में लगाया । दैनिक जागरण में निर्भय सक्सेना ने अनवरत 22 वर्ष पूर्णनिष्ठा, लगन, ईमानदारी, समर्पण तथा निर्भीकता के साथ अपनी पूर्ण क्षमतानुसार श्रमजीवी पत्रकार के रूप में वर्ष 2014 तक कार्य किया। 

दैनिक जागरण से उनकी प्रदेश सूचना विभाग से डेस्क पत्रकार की प्रदेश सरकार से मान्यता भी रही।  इस अवधि में उन्होंने प्रजातंत्र के चोथे स्तंभ को अपने निष्पक्ष एवं निर्भीक क्रियाकलापों से जीवन्त बनाये रखा। दैनिक जागरण में आपने आगरा, ग्वालियर, लखनऊ एवं बरेली संस्करणों में अपनी सेवाएं प्रदान कीं।


वर्ष 1987 में दैनिक जागरण समाचार-पत्र ने राजा कर्ण सिंह के बेटे तथा माधव राव सिंधिया की बेटी के विवाह, जिसे उस समय शाही विवाह के नाम से जाना गया, की कवरेज के लिए महत्वपूर्ण दायित्व निर्भय सक्सेना को दिया। जिसे निर्भय जी ने बड़ी सफलतापूर्वक संपादित किया।


भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने मुंबई वीटी रेलवे स्टेशन पर भारत का पहला कम्प्यूटर टिकट जारी किया था उस महत्वपूर्ण तथा विशेष कार्यक्रम की कवरेज करने का महत्वपूर्ण दायित्व भी ‘जागरण’ ने निर्भय सक्सेना की क्षमता के दृष्टिगत उन्हीं को सौंपा इस दायित्व को भी निर्भय सक्सेना ने अपने योग्यता एवं क्षमता के अनुरूप अत्यन्त उत्तम तरीके से सम्पन्न किया। 

मानव सेवा क्लब अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा कहते हैं कि तत्कालीन रेलमंत्री माधवराव सिंधिया निर्भय जी की कार्यप्रणाली से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अन्य पत्रकारों के साथ निर्भय  का ग्वालियर से दादर चलने वाली ट्रेन से मुंबई भेजा। 

जहां इन्होंने एक सप्ताह  रेलवे के विभिन्न प्रोजेक्ट पर 'दैनिक जागरण' आगरा के लिए कवरेज की। जिसको हिन्दी दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रथम पेज पर छापा।


 निर्भय सक्सेना ने पूर्ण ईमानदारी, निर्भीकता, दक्षता एवं साहस के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में जो अविस्मरणीय योगदान दिया उसके प्रत्युत्तर में पत्रकारिता जगत ने भी निर्भय जी का पूर्ण मान-सम्मान बनाये रखा। निर्भय जी ने यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) के बरेली जनपद के महामंत्री तथा प्रदेश स्तर पर मंत्री एवं उपाध्यक्ष पद को सुशोभित किया। 

आप ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया’ के पत्रकारिता स्कूल के उपाध्यक्ष भी रहे। श्री निर्भय सक्सेना ने 54  बार रक्तदान कर लोगों की जान बचाने में अपनी भूमिका निभाई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए) बरेली के ब्लड बैंक एवं अन्य संस्थाओं ने उन्हें समय-समय पर सम्मानित किया।  

            
नारायण दत्त तिवारी जब उ. प्र.   संपूर्ण यू पी के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने  निर्भय सक्सेना को स्टेट प्लेन से लखनऊ भेजा था । उस समय निर्भय सक्सेना, अशर्फी लाल के साथ स्टेट प्लेन से उपजा की बैठक में लखनऊ गये थे। कई बार मुख्यमंत्री के साथ पर्वतीय एरिया की कवरेज को भी गए। 

 
वर्तमान में निर्भय सक्सेना सूचना विभाग से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।  'मानव सेवा क्लब' सहते परिषद, कायस्थ चेतना मंच एवं कई संस्थाओं से जुड़कर समाज सेवा कार्य में योगदान कर रहे हैं। जिले में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के झण्डावरदार रहे निर्भय सक्सेना पत्रकारिता और पत्रकारों पर होने वाले किसी भी हमले से विचलित हो उठते थे। 

यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसियेशन (उपजा) के बैनर तले पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ यहां जितने भी संघर्ष हुए उनमें वे सबसे आगे नजर आए। इसके अलावा अखबार मालिको के खिलाफ झण्डा उठाने में भी उन्होंने कभी कोई संकोच नहीं किया। बेखौफ होकर हर संघर्ष में उतरना उनकी आदत है। 


पत्रकार वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने का मामला हो या प्रेस की स्वतंत्रता का हनन करने वाले किसी कानून के खिलाफ संघर्ष हो तो वे उसमें बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाते रहे हैं। बिहार में जब प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए लाए गये बिल का देश भर में विरोध हुआ।

 बरेली में भी 'उपजा' के बैनर तले पत्रकारों ने अपनी आवाज इसके खिलाफ पुरजोर ढंग से उठाई। इस संघर्ष में निर्भय सक्सेना ने पूरे दमखम से भाग लिया। 


उन्होंने न सिर्फ पत्रकार और पत्रकारिता के हक की आवाज बुलंद की बल्कि पत्रकारों के परिवारों की सुरक्षा  की चिन्ता भी उनके मन में लगातार लगातार बनी रही। उपजा की बरेली इकाई ने जब पत्रकारों के परिवारों के लिए अलग कालोनी बनाने की मांग उठाई तो उसके लिए हुए प्रयासों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके फलस्वरुप पूरे प्रदेश में पहली पत्रकार कालोनी बरेली के प्रियदर्शिनी नगर में बनी। इसी तरह पत्रकारों के संगठन उपजा के कार्यालय को स्थान प्रदान कराने के लिए तत्कालीन पदाधिकारियों ने जब इसके प्रयास शुरू किए तो युवा जोश के साथ निर्भय सक्सेना ने अपने पत्रकार साथियों के साथ उसमें भी बढ़-चढ़कर अपना अपना योगदान दिया। 



नतीजा बरेली में तत्कालीन नगर निगम के प्रशासक जी डी माहेश्वरी जी के सहयोग से 'उपजा' को न्यू सुभाष मार्केट में सिंघल पुस्तकालय के एक भाग में उपजा को अपना कार्यालय मिल गया जिसका उद्घाटन बरेली मंडल के आयुक्त अनादि नाथ सैगल ने फरवरी में किया। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से मिले पांच लाख रुपये के अनुदान से उपजा प्रेस क्लब का एक हाल भी तैयार हो गया।


निर्भय सक्सेना जिले की उपजा इकाई में शुरू से ही किसी न किसी पद पर रहे हैं। प्रदेश में दो बार उपाध्यक्ष रहे।  नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स इण्डिया (एन यू जे आई) के कार्यपरिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इण्डिया के स्कूल की गवर्निंग बाडी मेंबर भी रहे । वर्तमान में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया की यू पी इकाई में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। 

देश में पत्रकारिता पर होने वाली संगोष्ठियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सांगठनिक कौशल के अलावा समाचार संकलन की भी उनमें अद्भुत क्षमता है। वह जहां कभी भी रहे उनकी लेखनी का भी लोगों ने लोहा माना है।


 निष्पक्ष, सटीक और तथ्यपरक खबरों से उन्होंने पत्रकार जगत के अलावा समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने लगातार तीन बार अमरनाथ की भी यात्रा की। देश के कई कलकत्ता, आंध्र, राजस्थान हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में हुए पत्रकार संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा संचालित वी वी गिरी लेबर इंस्टीट्यूट, नोएडा में 10 दिवसीय लीडरशिप का प्रशिक्षण भी लिया। 


आज की युवा पीढ़ी के लिए वह प्रेरणा के स्रोत हैं।  संगठनों से हमेशा जुड़े रहने के कारण संघर्ष के दौर से गुजर रहे पत्रकारों के संपर्क में रहकर उनकी संभव मदद करते रहते हैं।          रमेश चंद जैन

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