Bareilly News: यू पी का 164 वर्ष पुराना बरेली मानसिक चिकित्सालय में जल्द शुरू होगा नशा मुक्ति केंद।
निर्भय सक्सेना
बरेली रूबरू बरेली। मुंबई की फिल्मो में दिखाए जाने वाले मेंटल हॉस्पिटल एवं उनके मानसिक रोगी एवं वास्तविक मेंटल हॉस्पिटल में जमीन आसमान का फर्क होता है।
अब इतनी उन्नत दवाएं एवं इंजेक्शन आ गए हैं कि हिंसक मानसिक रोगी को कुछ ही पल में शांत किया जा सकता है।
बरेली का प्रदेश का 164 वर्ष पुराना मानसिक चिकित्सालय भी इसका जीता जागता उदाहरण है। देश में समाज में डिप्रेशन आदि के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
जिसमें रोगी को समय पर चिकित्सा मिलने पर रोग ठीक भी हो रहा है ।
उत्तर प्रदेश में बरेली का मानसिक चिकित्सालय अब टेली मानस, ( निःशुल्क एवं गोपनीयता वाला परामर्श देने वाल एप) में प्रदेश में अभी दूसरे नंबर पर स्थान बनाए हुए है ।
यही नहीं अब बरेली के मानसिक चिकित्सालय में भारत सरकार के राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड द्वारा स्नातकोतर (पोस्ट ग्रेजुएट) की 3 वर्षीय पढ़ाई भी जल्द प्रारंभ होने की उम्मीद जागी है। जिसके लिए औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं ।
इसके अलावा मानसिक चिकित्सालय में नशा उन्मूलन केंद्र भी जल्द खोला जाएगा।
मानसिक चिकित्सालय के कुछ मनो चिकित्सक एवं कर्मी बताते हैं कि पूर्व में ऐसे रोगी आते थे जिन्हें काबू में करने पर वह काट लेते थे या उन्हें चोटिल भी कर देते थे।
उसमें असम का कोई फौजी एवं फिल्मी एक्टर का एक मुरादाबाद से लाया गया बाउंसर भी था जिनकी दी हुई चोट आज भी चिकित्सालय कर्मियों को याद है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 1862 में बरेली में 19.248 हेक्टेयर भूमि पर बना मानसिक चिकित्सालय प्रदेश का पुराना मानसिक चिकित्सालय है।
वर्तमान में बरेली एवं बनारस में सरकारी मानसिक चिकित्सालय हैं जबकि आगरा का सबसे पुराना मानसिक चिकित्सालय स्वायत्तशासी है। आजकल बरेली का मानसिक चिकित्सालय ओपीडी में बढ़ते मरीजों की संख्या के बाबजूद मनोचिकित्सक की कमी की परेशानी से जूझ रहा है।
वर्तमान में बरेली में लगभग 14 हेक्टेयर भूमि पर चल रहा मानसिक चिकित्सालय में कुल 10 वार्ड हैं। जिसमें पुरुष के 3 महिला के दो, परिवार वार्ड 2, बच्चा वार्ड एक एवं प्राइवेट वार्ड भी है।
महिलाओं के 112 बेड में 113 रोगी भर्ती हैं एवं पुरुष वार्ड में 73 रोगी भर्ती हैं। जिसमें महिला रोगियों में 2007 से भर्ती 2 महिला रोगी अब ठीक होने के बाद भी उन्हें लेने कोई नहीं आया।
पूर्व में कुछ महिला रोगियों को ठीक होने पर उनके घर जब पुलिस माध्यम से भेजा गया तो उनके परिवार ने बोझ समझ उन्हें रखने से मना कर दिया। आज भी मानसिक चिकित्सालय में आधा दर्जन से अधिक महिला रोगी ठीक होने के बाद भी दसियो वर्षों से वह यहीं रह रही हैं।
उन्हें सिलाई मशीन देकर सिलाई करने एवं दाल सब्जी आदि बिनने का कार्य देकर उन्हें व्यस्त रखा जाता है। लखनऊ से पुलिस द्वारा लाई गई एक मानसिक रोगी युवती, जो हाल में ही मां बनकर भी अपने नवजात बच्चे को नहीं पहचान रही थी। उसको भी बरेली में इसी वर्ष उपचार देकर काफी हद तक रोगमुक्त किया गया।
यहां के मनोचिकित्सक डॉ सालिग राम वर्मा के अनुसार इसका कारण ग्रामीण अंचल के परिवार में रोगी हो चुकी महिला को बोझ समझने एवं विवाहेत्तर संबंध भी प्रमुख कारण बताए गए हैं। आजकल समाज में डिप्रेशन आदि के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
उत्तर प्रदेश में मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने कई सौ वर्ष पूर्व आगरा, बरेली एवं बनारस में सरकारी मानसिक चिकित्सालय खोला था।
बताया गया कि बरेली के मानसिक चिकित्सालय की पूर्व में हालत बढ़िया थी। उस दौर में भी सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन आजकल यह उपेक्षा का दंश झेल रहा है। समाज में डिप्रेशन आदि के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पर बरेली मे सरकारी मानसिक चिकित्सालय बदहाल होता जा रहा है।
बरेली मानसिक चिकित्सालय की निदेशक एवं प्रमुख अधीक्ष डॉ पुष्पा पंत ने एक भेट मे बताया कि बरेली मानसिक अस्पताल में बरेली के अलावा कई जिलों, उत्तराखंड व अन्य राज्यों से के अलावा नेपाल तक के मरीज 5 से 6 सौ मरीज प्रतिदिन बरेली की ओपीडी में आते है।
सोमवार 18 अगस्त 2025 को तो 844 मरीज आने का अब तक का सर्वाधिक मरीज का रिकॉर्ड रहा। शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के करीब 400 से 500 मरीजों को ओपीडी में प्रतिदिन परामर्श दिया जाता है। वर्ष 2024 में 1 लाख 24 हजार 375 मरीज आए थे जिनमें पुरुष 73, 544 एवं महिला 50,831 थी। वर्ष 2025 में जुलाई तक 77 हजार 896 रोगी आए।
बीते वर्ष की इसी जुलाई की अवधि में 11,494 के सापेक्ष 12,202 रहे जो तुलनात्मक अधिक रहे। बरेली के मानसिक चिकित्सालय में एक चिकित्सा निदेशक, 6 मनो चिकित्सक 1 रेडियो लॉजिस्ट हैं। नर्स का कोई पद स्वीकृत नहीं है।
पर जिला अस्पताल से 4 नर्स संविदा पर मुख्य चिकित्साधीक्षक द्वारा दी गई है। मानसिक चिकित्सालय में पैथोलॉजी, एम आर आई, सी टी स्कैन की नितांत आवश्यकता है।
जिसके लिए मानसिक रोगी जिला अस्पताल भेजे जाते हैं । ऐसे में बरेली में मनो चिकित्सकों की कमी से कई बार मरीजों एवं उनके तीमारदार को अन्यत्र भी भटकना पड़ता है।
मानसिक चिकित्सालय में काउंसलर की सुविधा अब बेहतर है।
बरेली मानसिक चिकित्सालय की निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक डॉ पुष्पा पंत ने बताया कि 6 एकड़ वाले फार्म को पुनर्वास उपचार केंद के तहत चला कर उसमें सीजनल सब्जी उगाई जाती हैं जो चिकित्सालय के रोगियों के भोजन में उपयोग होती हैं।
भर्ती मरीज के भोजन के लिए प्रतिदिन 100 रुपए व्यय का प्राविधान है । उसे वस्त्र आदि भी मानसिक चिकित्सालय प्रशासन की ओर से दिया जाते हैं। मानसिक चिकित्सालय के 16 करोड़ रुपए के वार्षिक बजट में से लगभग 10 करोड़ रुपए वेतन आदि पर व्यय होता है ।
प्रधानमंत्री जन औषधि की दवाएं भी मांग के अनुरूप मानसिक चिकित्सालय को बहुत कम और समय पर नहीं मिलती हैं। जिस कारण लगभग एक करोड़ मूल्य की दवाएं टेंडर के माध्यम से बाजार से खरीदी जाती हैं। बरेली के मानसिक चिकित्सालय की भूमि में से 5.265 हेक्टेयर भूमि 300 बेड हॉस्पिटल को पूर्व में दी गई थीं।
अब प्रस्तावित मेडिकल कालेज के लिए 14 हेक्टेयर जमीन में से मानसिक चिकित्सालय के फॉर्म वालीं ओर 6 एकड़ भूमि लेने के लिए जिलाधिकारी एवं मंडलायुक्त ने यहां निरीक्षण भी किया था। लगता है कि अभी वह प्रस्ताव फाइल में ही पड़ा है।
मानसिक चिकित्सालय के निदेशक, 6 मनोचिकित्सक के आवास भी खस्ताहाल हो चुके हैं । 2017 में केंद्र सरकार की योजना में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का मानसिक चिकित्सालय बरेली में नाम होने पर उसके सेंटर बनाने की बात चली थी।
जिसके लिए 2 करोड़ रुपए का वर्ष 2018 एवं 2023 में प्रदेश शासन को प्रस्ताव भेजा गया था जो परवान नहीं चढ़ा। अब मानसिक चिकित्सालय में खंडहर हो चुके डॉक्टर आवास के नए निर्माण के लिए शासन को वर्ष 2023 एवं 2025 में पुन पत्र लिखा गया हैं।
यही नहीं मानसिक चिकित्सालय के बाहर बने हुए 17 कर्मियों के आवास भी बदहाल हो गए हैं जिनको भी पुनर्निर्माण की आवश्यकता है।
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